सरकार ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के बीच "सकारात्मक बातचीत" के ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन का स्वागत किया. ट्रंप और किम ने मंगलवार सुबह सात दशकों की दुश्मनी को खत्म करने के वादे से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत संवाद और कूटनीति के माध्यम से कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता लाने के सभी प्रयासों का समर्थन करता है. उत्तर कोरिया के कथित परमाणु प्रसार संबंधों को लेकर सरकार ने यह उम्मीद भी जताई कि प्योंग्यांग तक परमाणु तकनीक पहुंचाने में भारत के पड़ोसी मुल्क की भूमिका की भी जांच होगी.

भारत पहले भी किम शासन में परमाणु प्रसार की जांच करने की बात कहता रहा है. इसके साथ ही भारत जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की बात भी कर चुका है. विदेश मंत्रालय ने कहा, "हमें उम्मीद है कि अमेरिका-उत्तर कोरिया शिखर सम्मेलन के परिणाम लागू किए जाएंगे, इस प्रकार कोरियाई प्रायद्वीप में स्थायी शांति और स्थिरता का रास्ता बनेगा.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने गुप्त रूप से उत्तर कोरिया को परमाणु संवर्धन तकनीक की आपूर्ति की थी. उस दौरान एक्यू खान देश के परमाणु कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया को महत्वपूर्ण मशीनरी, चित्र और तकनीकी सलाह दी थी. अप्रैल में, किम और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन ने कोरियाई प्रायद्वीप में स्थायी शांति लाने के लिए एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया था.

बातचीत के बाद मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप पर परमाणु निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया "बहुत जल्द" शुरू होगी और उत्तर कोरियाई नेता ने बीती बातों को भुला देने का वादा किया. ट्रंप ने कहा, "हमने एक संयुक्त वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए जो उत्तर कोरिया के परमाणु निरस्त्रीकरण को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."

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