भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को संसद की स्थायी समिति के सामने पेश हुए. जिसमें उनसे बढ़ते एनपीए और नोटबंदी के दौरान जमा नोटों की आखिरी संख्या से जुड़े सवाल किए गए. उर्जित से बैंकिंग क्षेत्र की चुनौतियों को लेकर पूछताछ की. जिसमें बैंकों के अरबों-खरबों रुपये के फंसे हुए कर्जे से पंजाब नेशनल बैंक में हुई धोखाधड़ी तक के मामले शामिल थे.

उर्जित पटेल ने बताया कि केंद्रीय बैंक ने कुछ कदम उठाए हैं, जिससे स्थिति सुधरी है और बैंकिंग प्रणाली मजबूत हुई है. पटेल को संसद की वित्तीय मामलों की स्थाई समिति ने इन मामलों पर पूछताछ के लिए तलब किया था, जोकि तीन घंटों से अधिक देर तक चली.

वे डिप्टी गवर्नरों के साथ उपस्थित हुए और उनसे भारत के बैंकिंग क्षेत्र के मुद्दों, चुनौतियों और गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों और वित्तीय संस्थानों के बारे में पूछताछ की गई.

इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने की और इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी समिति के सदस्य की हैसियत से शामिल हुए.



कुछ सदस्यों ने आरबीआई गवर्नर से हाल के दिनों में एटीएम में कैश की कमी, फंसे हुए कर्जे और बैंकिंग घोटालों (नीरव मोदी) के संबंध में भी पूछताछ की.

बैठक में मौजूद सूत्रों ने बताया कि पटेल ने वर्तमान स्थिति की जानकारी दी और इनसे निपटने के लिए आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया, जिसमें प्राम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क, दिवाला और दिवालियापन संहिता लागू करना और नया समाधान फ्रेमवर्क शामिल है.

एक सांसद ने कहा कि उर्जित पटेल नोटबंदी के संबंध में पूछे गए प्रश्नों का जवाब नहीं दे रहे हैं. वहीं, पटेल ने दावा किया कि आईएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) और विश्व बैंक ने नियामक की भूमिका की तारीफ की है.
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