रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सेना को धन की कमी संबंधी रिपोर्टों को खारिज करते हुए कहा कि बीते चार साल में सेना को पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराये गए हैं.

रक्षा मंत्री का यह बयान संसदीय समिति के उस निष्कर्ष पर आया है जिसके अनुसार देश की तीनों सशस्त्र सेनाएं धन की भारी कमी का सामना कर रही हैं. इस निष्कर्ष को खारिज करते हुए सीतारमण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सशस्त्र सेनाओं को गोला बारूद की किसी भी तरह की कमी नहीं है जैसा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में देखा गया था.

2004-05 के बाद से चौथा सबसे बड़ा रक्षा खर्च 2014-15 में
रक्षा मंत्री ने कहा, अगर आप 2004-05 से देखें तो रक्षा खर्च 2017-18 में सबसे अधिक रहा है. इसी तरह यह खर्च 2016-17 में दूसरा सबसे अधिक व 2015-16 में तीसरा सबसे अधिक रहा. 2004-05 के बाद से चौथा सबसे बड़ा रक्षा खर्च 2014-15 में रहा.

रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने की थी सरकार की आलोचना
उल्लेखनीय है कि रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने मार्च में थलसेना, वायुसेना व नौसेना को अपर्याप्त धन आवंटन के लिए सरकार की कड़ी आलोचना की थी. इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बी सी खंडूड़ी हैं.

सेना ने समिति को बताई थी धन की भारी कमी
सेना ने समिति को बताया कि उसके पास धन की भारी कमी है और उसे आपातकालीन खरीद के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ रहा है, जबकि चीन व पाकिस्तान अपनी सेनाओं के आधुनिकीरकण में तेजी से जुटे हैं.

'धन की कमी से सेना की आधुनिकीकरण योजना प्रभावित'
तत्कालीन उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल शरत चंद ने समिति से कहा कि धन के अपर्याप्त आवंटन से सेना की आधुनिकीकरण योजना प्रभावित होगी. शरत चंद ने इस बारे में चीनी सेना की तैयारियों की ओर इशारा किया.

'सशस्त्र सेनाओं को धन की किसी तरह की कमी नहीं है'
एक सवाल के जवाब में रक्षा मंत्री सीतारमण ने बजटीय आंकड़ों का जिक्र किया और कहा कि सशस्त्र सेनाओं को धन की किसी तरह की कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि 2013-14 में रक्षा सेनाओं के लिए पूंजी परिव्यय 86,740 करोड़ रुपये जबकि वास्तविक खर्च 79,125 करोड़ रुपये रहा। वहीं 2014- 15 में पूंजी आवंटन 94,588 करोड़ रुपये रहा जबकि वास्तविक खर्च 81,886 करोड़ रुपये रहा।

साल 2015-16 में रक्षा सेनाओं के लिए बजट 94,588 करोड़ रुपए रखा गया, जबकि इस दौरान वास्तविक खर्च 79,958 करोड़ रुपए रहा. इसी तरह 2016-17 में रक्षा क्षेत्र के लिये पूंजी लागत 86,340 करोड़ रुपये व वास्तविक खर्च 86,370 करोड़ रुपए रहा.

सीतारमण ने कहा , मैं इस मिथक को तोड़ना चाहूंगी कि दिया गया धन पहले की तुलना में कम है.

'सेना मुख्यालयों को अपनी खरीद को विचारशील बनाना चाहिए'
यह पूछे जाने पर कि क्या अधिक धन मांगने के मामले में सेना का रुख अतार्किक है, मंत्री ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया लेकिन कहा कि सेना मुख्यालयों को अपनी खरीद को विचारशील बनाना चाहिए ताकि नई टेक्नोलॉजी की जरूरतों को पूरा किया जा सके. उन्होंने कहा कि सशस्त्र सेनाओं को अपनी जरूरतों की सूची की समीक्षा करनी चाहिये, क्योंकि कई नई टेक्नोलॉजी आई है, ऐसे में कुछ उपकरण ऐसे हो सकते हैं जिनकी अब जरूरत नहीं रह गई हो.

'पिछले चार साल में सेनाओं को गोलाबारूद की कोई कमी नहीं'
सीतारमण ने कहा कि सर्विस मुख्यालय को वित्तीय अधिकार दिये गये हैं और यही वजह है कि पिछले चार साल के दौरान सेनाओं को गोलाबारूद की कोई कमी नहीं हुई है.

 
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