भारत के प्रधान न्यायधीश (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने भले ही उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को नोटिस दे दिया हो, लेकिन सीजेआई पर लगाए गए आरोपों को साबित करना इतना आसान नहीं है. दरअसल, सीजेआई दीपक मिश्रा पर महाभियोग लाने को लेकर कांग्रेस में ही दो धड़े बन चुके हैं. एक धड़ा जहां महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं. वहीं, दूसरा धड़ा इसके खिलाफ है.

विपक्ष ने जिन 5 वजहों को आधार बनाते हए सीजेआई पर महाभियोग लगाने का प्रस्ताव तैयार किया है. वो आरोप भी पुख्ता नहीं हैं. ऐसे में पहले से बंटी विपक्ष के लिए इन आरोपों को साबित करना भी आसान नहीं होगा. दरअसल, 1968 के जज इन्क्वायरी एक्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए आरोप 'निश्चित' होने चाहिए, ताकि उनके आधार पर जांच कराई जा सके.

कांग्रेस के कई नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि महाभियोग जैसा बड़ा फैसला लेने से पहले कांग्रेस कार्यसमिति से चर्चा होनी चाहिए थी. लेकिन, ऐसा नहीं किया गया. ऐसे में ये नेता पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं.
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