नई दिल्ली I कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से राहुल गांधी पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को लगातार ‘एक्शन मोड’ में रखने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. कठुआ और उन्नाव गैंगरेप की घटनाओं पर लोगों के आक्रोश को देखते हुए जिस तरह उन्होंने दिल्ली में गुरुवार आधी रात को आनन-फानन में कैंडल मार्च का आह्वान किया, वो विरोधी दलों के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं को भी चौंकाने वाला था. फिर थोड़े वक्त में ही बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जुटकर जिस तरह का जोश दिखाया, वैसा कांग्रेस ने पिछले कई साल से दिल्ली में नहीं दिखाया था.
जाहिर है कि 2019 लोकसभा चुनाव को अब एक साल ही बचा है. इसी एक साल में पहले कर्नाटक और फिर मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन सभी राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी कमोबेश सीधे मुकाबले में हैं. ऐसे में साफ है कि इन राज्यों में चुनाव को भी कांग्रेस 2019 लोकसभा चुनाव की फाइनल जंग से पहले सेमीफाइनल के तौर पर ही ले रही है.

पार्टी को फायदा मिलने की आस
कांग्रेस का मानना है कि इन राज्यों के चुनावों में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहती है तो 2019 की निर्णायक लड़ाई में उसका बहुत फायदा मिलेगा. राहुल ने कांग्रेस महाधिवेशन में पार्टी कार्यकर्ताओं को जनता के हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरने की हुंकार भरी थी. राहुल ने महाधिवेशन में बीजेपी को कौरव और कांग्रेस को पांडव बताकर कार्यकर्ताओं से सियासी रण में निकलने का ऐलान किया था. पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय बनाए रखने के लिए कांग्रेस ने आगे का अपना प्लान भी जाहिर कर दिया है.

दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से 23 अप्रैल को कांग्रेस के ‘मिशन 2019’ की शुरुआत हो रही है. इस दिन पार्टी ने बड़ा दलित सम्मेलन बुलाया है, यहां से राहुल गांधी 'संविधान बचाओ' अभियान का ऐलान करने वाले हैं. दरअसल, इसके जरिए कांग्रेस एक तरफ दलित वोटबैंक को साधना चाहती है, तो दूसरी तरफ हाल में एससी-एसटी एक्ट को लेकर अदालत के फैसले पर भी सरकार पर दबाव बढ़ाना चाहती है.

कांग्रेस ने एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर ही मोदी सरकार से अध्यादेश (ऑर्डिनेन्स) लाने की मांग की हैं. इस विषय पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के दलित चेहरों में से अहम माने जाने वाले पीएल पुनिया का कहना है कि केंद्र सरकार दलित विरोधी है वरना अब तक उसको आर्डिनेन्स ले आना चाहिए, पार्टी ने इसीलिए दलित सम्मेलन को ‘संविधान बचाओ’ से जोड़ा है.

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