पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम पर संबोधन दिया. हालांकि, अपने पूरे भाषण में पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने ऐसे किसी भी नेता या शख्सियत का नाम नहीं लिया, जो बीजेपी से जुड़ा हो.

इतना ही नहीं अपने संबोधन में उन्होंने संघ के भी किसी बड़े नेता का जिक्र नहीं किया. हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी के साथ जवाहरलाल नेहरू का नाम भी लिया, जिन पर अक्सर बीजेपी और संघ के नेता निशाना साधते रहे हैं.

संबोधन में पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा, ' जैसा कि गांधी जी ने समझाया कि भारतीय राष्ट्रवाद अनन्य नहीं, न ही आक्रामक और न ही विनाशकारी था'. अपने संबोधन के दौरान पूर्व राष्ट्रपति ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के विचार रखे. उन्होंने आजाद भारत को एक करने में सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयासों की भी चर्चा की. उन्होंने राष्ट्र की अवधारणा पर कांग्रेस नेता सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, बालगंगाधर तिलक के भी विचारों का उल्लेख किया.

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प्रणब ने कौटिल्य के अर्थशास्त्र का उल्लेख करते हुए एक श्लोक- 'प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानन् च हिते हितम्, नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानन् तु प्रियं हितम्' का भी उल्लेख किया. भाषण के बाद कांग्रेस के भी नेताओं की आशंकाएं खारिज हुई हैं जिसमें तमाम पार्टी नेताओं का मानना था कि प्रणब कुछ ऐसा ना बोल दें जो उनके लिए ही मुसीबत का सबब बन जाए.

हालांकि, अपने भाषण से पहले हेडगेवार की जन्मस्थली पर पहुंचने के बाद विजिटर बुक में प्रणब ने लिखा, 'आज मैं भारत माता के महान सपूत को श्रद्धांजलि अर्पित करने आया हूं.' अपने संबोधन से पहले पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी उन गलियों से गुजरते हुए उस मकान तक गए जहां संघ के संस्थापक डॉ. केशव राव बलीराम हेडगेवार का जन्म हुआ था. इस दौरान उनके घर में अंदर जाने से पहले प्रणब ने जूते भी उतारे. सूत्रों के अनुसार हेडगेवार के घर जाने का कार्यक्रम पहले से तय नहीं था. प्रणब ने ऐसा करने का फैसला अचानक किया.
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