साल 2019 के आम चुनावों में एक साल बचा है. बिहार में एनडीए के साझेदारों जेडीयू और बीजेपी में सीटों के बंटवारे को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई है. बिहार की 40 सीटों को लेकर दोनों ही पार्टियां अपने अलग-अलग दावे कर रही हैं.

जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव में एनडीए उम्मीदवार को लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद ही जेडीयू-बीजेपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर तनातनी शुरू हो गई है.

जेडीयू का कहना है कि मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में एनडीए गठबंधन का चेहरा हैं और वह बीजेपी की तुलना में वरिष्‍ठ सहयोगी है ऐसे में उसे ज्‍यादा सीटें मिलनी चाहिए. इस पर बीजेपी की प्रतिक्रिया भी फौरन आई. उसकी ओर से कहा गया कि बिहार में नीतीश एनडीए का चेहरा हैं लेकिन लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में लड़ा जाएगा ऐसे में वह भी ज्‍यादा सीटों की दावेदार है.

इस मामले में सबसे अहम सवाल है कि आगामी लोकसभा चुनावों में जेडीयू के लिए सीटों का बंटवारा किस हिसाब से होगा- 2014 के खराब प्रदर्शन के अनुसार या 2015 के विधानसभा चुनाव के अनुसार. 2014 में जेडीयू अकेले चुनाव लड़ी थी लेकिन उसे दो सीटें ही मिल पाई थी. एक साल बाद विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन कर उसने बड़ी कामयाबी पाई थी लेकिन थोड़े समय बाद ही इसने फिर से बीजेपी से हाथ मिला लिया. 2009 के आम चुनाव को बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर लड़ा था. इसमें जेडीयू ने 25 में से 22 और बीजेपी ने 15 में से 12 सीटें जीती थीं.



रविवार को पार्टी की बैठक के बाद केसी त्‍यागी और पवन वर्मा के बयानों को आगे बढ़ाते हुए पार्टी प्रवक्‍ता अजय आलोक ने कहा था बिहार में नीतीश कुमार शुरू से एनडीए के नेता रहे हैं जबकि जेडीयू गठबंधन की वरिष्‍ठ पार्टी या बड़ा भाई रही है. पार्टी की कोर कमिटी की बैठक में फैसला लिया गया था कि बिहार में जेडीयू वैसे ही बड़ी भूमिका में रहेगी जैसे कि दिल्‍ली में बीजेपी रहती है.

अजय आलोक से जब पूछा गया कि क्‍या जेडीयू 2015 के विधानसभा चुनाव की बड़ी जीत के सहारे ज्‍यादा सीटें मांगेगी, इस पर उन्‍होंने कहा कि पहले ऐसा हो चुका है कि जेडीयू 40 में से 25 और बीजेपी बाकी की 15 सीटों पर चुनाव लड़ चुकी है. हालांकि उन्‍होंने आगे कहा कि अलग परिस्थितियों में एनडीए के सभी सहयोगियों को एक जगह बैठना होगा और सभी को मंजूर हो इस तरह से सीटों का बंटवारा करना चाहिए.

साल 2013 में नीतीश कुमार के गठबंधन तोड़ने के बाद बीजेपी ने छोटे दलों जैसे रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी से हाथ मिला लिया था. इनके गठबंधन ने 31 सीटें जीती थी जिसमें से 22 बीजेपी को मिली थी. कुशवाहा ने भी जल्‍द से जल्‍द सीटों का बंटवारा करने की मांग की है. वहीं पासवान के बारे में सुना गया है कि उन्‍होंने भी पिछले सप्‍ताह अमित शाह से मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया था.

वहीं बीजेपी नेताओं ने जेडीयू के मसले के बयान को ज्‍यादा तूल नहीं दिया. बिहार के उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि देश में एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी हैं जबकि बिहार में नीतीश कुमार. इसमें कहां विरोधाभास है. एक अन्‍य नेता ने कहा कि जब दोनों पार्टियों के दिल मिल गए हैं तो सीटों का बंटवारा बड़ा मसला नहीं है.
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