कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को पूरा विश्वास है कि वह फ्लोर टेस्ट क्लियर कर लेंगे. इस फ्लोर टेस्ट के साथ ही कर्नाटक में दस दिन से जारी सियासी ड्रामे पर ब्रेक लग जाएगा. कुमारस्वामी ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं के बड़े जमावड़े के बीच बुधवार को सीएम पद की शपथ ली थी.

फिलहाल जेडीएस-कांग्रेस-बीएसपी गठबंधन के चलते उनके पास विधानसभा में क्लियर मेजॉरिटी है. कांग्रेस के पास 78 विधायक हैं, जेडीएस के पास 36 विधायक हैं और बीएसपी के पास 1 विधायक है. वहीं इस गठबंधन को एकमात्र केपीजेपी विधायक और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन मिला है. विधानसभा में 104 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है.

बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. हालांकि दो दिन बाद ही उन्होंने फ्लोर टेस्ट कराने की बजाए उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था. कर्नाटक की 224 में से 222 सीटों पर ही चुनाव हुए थे. यहां की जयानगर से बीजेपी उम्मीदवार बीएन विजय कुमार के निधन के बाद चुनाव रद्द कर दिया गया था और आरआर नगर सीट पर चुनाव पोस्टपोन कर दिया गया था.

शपथग्रहण के बाद कुमारस्वामी ने विश्वास जताया था कि फ्लोर टेस्ट वह आसानी से जीत जाएंगे. हालांकि उन्होंने आशंका जताई थी कि बीजेपी 'ऑपरेशन कमल' दोबारा चलाकर उनकी सरकार को गिरा सकती है.



क्या है ऑपरेशन कमल?
'ऑपरेशन कमल' शब्द की शुरुआत 2008 में जब बीजेपी के प्रदेश प्रमुख बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे. तब बीजेपी बहुमत के आंकड़े से मजह तीन सीट दूर थी. 'ऑपरेशन कमल' का नाम बीजेपी के चुनाव चिह्न पर पड़ा था. इस ऑपरेशन के तहत बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को लालच देकर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था. इसके बाद दल बदल कानून के चलते उन विधायकों की विधायकी चली गई. इससे सदन में इफेक्टिव सीटें कम हो गईं और बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा आसानी से छू लिया. इसके बाद येदियुरप्पा ने विश्वास मत आसानी से जीत लिया और उनकी सरकार बन गई.

येदियुरप्पा के इस्तीफे से बेफिक्र बीजेपी ने सीनियर लीडर एस सुरेश कुमार का नाम स्पीकर पद के लिए आगे बढ़ाया है. वहीं कांग्रेस के रमेश कुमार ने भी स्पीकर पद के लिए नामांकन भरा है. सुरेश कुमार ने कहा, "हमारे पास सीटों की संख्या और अन्य फैक्टर्स को देखते हुए पार्टी नेताओं को विश्वास है कि मैं ही जीतूंगा. इसी विश्वास के साथ मैंने नामांकन भरा है."

वहीं पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने गठबंधन के उम्मीदवार की जीत का विश्वास जताया है. उन्होंने कहा, “मुझे पता चला कि बीजेपी ने भी नामांकन भरा है. मुझे उम्मीद है कि वे पीछे हट जाएंगे. चुनाव हुआ तो रमेश कुमार की जीत तय."

कुमारस्वामी के लिए ट्रस्ट वोट जीतना तो आसान होगा लेकिन अपनी कैबिनेट का विस्तार करना उनके लिए एक मुश्किल काम हो सकता है. खबरें हैं कि डिप्टी सीएम का पद नहीं दिए जाने की वजह से वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार नाराज हैं. यह पद कांग्रेस के दलित नेता जी परमेश्वर को मिला है. बता दें कि कांग्रेस विधायकों को एकजुट बनाए रखने का पूरा श्रेय डीके शिवकुमार को दिया जा रहा है. शिवकुमार ने कहा था, "एक सीट जीतने वाले और पूरे राज्य में परचम लहराने वाले में क्या कोई अंतर नहीं है? मैं राजनीति में सन्यास लेने के लिए नहीं आया हूं. मैं चेस खेलूंगा, फुटबॉल नहीं."




वहीं दूसरी तरफ जी परमेश्वर ने कुमारस्वामी के फ्लोर टेस्ट से महज कुछ घंटे पहले कहा है कि अब यह तय नहीं है कि कुमारस्वामी कितने समय तक के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे.
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