कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की गणना भारत के 5वें सबसे बड़े और सुविधाजनक महानगर में की जाती है. बेंगलुरु को सिलिकॉन सिटी के नाम से भी जाना जाता है. कर्नाटक की सियासत में बेंगलुरु क्षेत्र का अपना मुकाम है. कहा जाता है कि राज्य की सत्ता की राजनीति का रास्ता बेंगलुरु से तय होता है.

बीजेपी के दिग्गज नेता इसी क्षेत्र से आते हैं. बेंगलुरु के शहरी इलाके में जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र में जेडीएस का अपना मजबूत आधार है. ऐसे में बेंगलुरु क्षेत्र का सियासी मुकाबला दिलचस्प बन गया है.
बेंगलुरु क्षेत्र के तहत पांच लोकसभा और 32 विधानसभा सीटें आती हैं. बेंगलुरु सिटी, बेंगलुरु नॉर्थ, बेंगलुरु साउथ और बेंगलुरु सेंट्रल इलाके आते हैं. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में इस बेंगलुरु क्षेत्र के लिए अलग से घोषणा पत्र जारी किया है.

कर्नाटक में बीजेपी के दिग्गज नेता इसी क्षेत्र से आते हैं. इनमें केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा, आर अशोक और सुरेश कुमार शामिल हैं. कांग्रेस कार्यसमिति के दिनेश गुंडूराव, अशोक खेनी और मुनिरत्न नायडू इसी क्षेत्र से आते हैं.

2013 के विधानसभा चुनाव में बेंगलुरु क्षेत्र के तहत आने वाली सीटों में से करीब आधी कांग्रेस के नाम रहीं. 32 सीटों में से कांग्रेस ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि बीजेपी ने 12 और जेडीएस ने 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. वोट शेयर के लिहाज से कांग्रेस को 41 फीसदी, बीजेपी को 32 और जेडीएस को 19 और अन्य को 8 फीसदी मत मिले थे.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बेंगलुरु क्षेत्र में जबर्दस्त प्रदर्शन किया था. बीजेपी को इस क्षेत्र से 53 फीसदी और कांग्रेस को 37 फीसदी वोट मिले. जेडीएस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था. जेडीएस को महज 6 फीसदी वोट मिले. लोकसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न को देखें तो बीजेपी 24 विधानसभा सीटों पर आगे रही. जबकि कांग्रेस 8 सीटों पर आगे रही. विधानसभा चुनाव में 6 सीटें जीतने वाली जेडीएस लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पर आगे नहीं रह सकी.
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