आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों के खिलाफ ‘लाभ के पद’ के मामले में चुनाव आयोग आगामी 17 मई से फिर से सुनवाई शुरु करेगा. आयोग द्वारा इस मामले से जुड़े आप विधायकों को आज सुनवाई के बारे में सूचित करते हुये 17 मई को अपना पक्ष रखने के लिये खुद या अपने वकील के ज़रिए पेश होने को कहा गया है. बता दें कि चुनाव आयोग ने इस मामले में आप विधायकों को लाभ के पद का दोषी करार दिया था और उनकी सदस्यता को रद्द किए जाने की सिफारिश की थी. पर उच्च न्यायालय ने इसे अमान्य करार दे दिया और इस पर फिर से सुनवाई करने का चुनाव आयोग को आदेश दिया.
दरअसल विधायकों का आरोप था कि आयोग ने बिना उनकी दलील सुने ही बिना ही राष्ट्रपति से उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश कर दी थी, जिसे उच्च न्यायालय ने सही करार दिया और आयोग से फिर से इस मामले पर सुनवाई करने को कहा.
आयोग ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के बजाय इसका पालन करते हुये 17 मई से मामले की सुनवाई करने का फैसला किया है. आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया ‘‘मामले के कमियों व अच्छाइयों के आधार पर इसकी मौखिक सुनवाई की जायेगी.’’
आप विधायकों का आरोप है कि आयोग द्वारा पिछले साल मार्च से उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया जबकि आयोग की दलील है कि सभी पक्षकार विधायकों को लिखित जवाब देने के लिये दो बार मौका दिया गया. मार्च 2015 में मंत्रियों के संसदीय सचिव नियुक्त किये गये आप विधायकों की नियुक्ति को सितंबर 2016 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अमान्य घोषित कर दिया था.
इस आधार पर आप विधायकों ने चुनाव आयोग से उनके खिलाफ वकील प्रशांत पटेल द्वारा लाभ के पद मामले की शिकायत को खारिज कर मामला खत्म करने की अर्जी दी जिसे आयोग ने ठुकराते हुये इस साल जनवरी में इनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी. इस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने सिफारिश स्वीकार करते हुये मामले से जुड़े विधायकों अलका लांबा, नरेश यादव, आदर्श शास्त्री, कैलाश गहलोत, संजीव झा, राजेश गुप्ता, विजेन्द्र गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, मदन लाल, शिव चरण गोयल, सरिता सिंह, राजेश ऋषि, अनिल कुमार, सोमदत्त, अवतार सिंह, सुखबीर सिंह दलाल, मनोज कुमार, नितिन त्यागी और जरनैल सिंह की सदस्यता खत्म करने की सरकार को हरी झंडी दे दी.
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