उपचुनावों के आए नतीजों से बीजेपी को कई सीटों पर मिली हार से लग रहा है कि अगले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को एकजुट विपक्ष का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि पार्टी के नेताओं ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय मुद्दों के साथ - साथ ‘मोदी फैक्टर’ 2019 में बीजेपी को जीत दिलाएगी. गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद गुरुवार को कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट पर उपचुनावों में पार्टी की हार ने पर्याप्त रूप से स्पष्ट कर दिया है कि अगले आम चुनावों में यदि विपक्ष एकजुट हो जाए तो राजनीतिक रूप से अहम उत्तर प्रदेश में बीजेपी की चुनावी राह बड़ी मुश्किल हो जाएगी.

साल 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को उत्तर प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 71 जबकि इसके सहयोगी अपना दल को दो सीटें हासिल हुई थीं. हालांकि अगले लोकसभा चुनाव में ऐसा प्रदर्शन दोहराने के लिए बीजेपी को फिर से वोटों को एकजुट करने के जोरदार प्रयास करने होंगे.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले हफ्ते कहा था कि उनकी पार्टी एकजुट विपक्ष की चुनौती को खत्म करने के लिए 2019 में 50 फीसदी वोट प्रतिशत प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करेगी. बहरहाल , पार्टी ने उपचुनावों में अपनी हार को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. वह महाराष्ट्र की दो लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में सिर्फ पालघर सीट ही बरकरार रख पाई.

बीजेपी प्रवक्ता और  राज्यसभा सदस्य जी वी एल नरसिम्हा राव ने कहा कि ‘ मोदी फैक्टर ’ ने कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलाई है. उन्होंने कहा कि  उपचुनावों में लोग स्थानीय मुद्दों , जातियों और उम्मीदवारों को देखकर वोट देते हैं , क्योंकि उन्हें पता होता है कि इन नतीजों का केंद्र या राज्यों में कोई असर नहीं होगा.
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