पेशे से तो डॉक्टर लेकिन, ज़हनी तौर पर मानसिक रोगी. नाबालिग लड़कियों के साथ छेड़छाड़ उसे चरम सुख देती थी. अपनी करतूत को समाज की नजरों से बचाकर शौक को पूरा करने के लिए सरकारी अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने एक अनोखा उपाय निकाला. उसने दो नाबालिग बहनों को घरेलू कामकाज के बहाने अपने घर में ही रख लिया.
उसका रास्ता साफ हो गया था. वो नाबालिग बहनों को बाथरूम खोलकर नहाने को कहता था, ऐसा करने से मना करने पर मारता-पीटता था, और तो और वो बेटी समान दोनों लड़कियों के साथ कुछ ऐसा भी करता था जिससे उनकी आत्मा घायल हो जाया करती थी. मामला झारखण्ड और उत्तराखण्ड दोनों ही राज्यों से जुड़ा हुआ है.
झारखण्ड के खूंटी जिले के बरिगडा की दो नाबालिग बहनों को उत्तराखण्ड के टिहरी के सरकारी अस्पताल में तैनात एक सरकारी डॉक्टर ललित जैन ने अपने घर में घरेलू कामकाज के लिए रखा. इसी साल जून के महीने में छोटी बहन डॉक्टर के घर से भाग गयी. जब उसने पुलिस और बाल कल्याण समिति को आपबीती बताई तो सभी दंग रह गये. उसके बयान के आधार पर उसकी बड़ी बहन को भी डॉक्टर के घर से छुड़ाया गय़ा. बड़ी बहन ने भी वही कहा जिसके बारे में उसकी छोटी बहन बोल रही थी.
अब शुरु हुई पुलिसिया कार्रवाई और यहीं से शुरु हुआ दोनों बहनों पर जुल्म की एक और दास्तान. पुलिस ने तो डॉक्टर के लगभग सारे गुनाह माफ कर दिये. तभी तो इतनी घिनौनी हरकत के बावजूद उसके खिलाफ ना तो पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया गया और ना ही मानव तस्करी की धाराओं में. लेकिन, न्यूज़ 18 इस पूरी साजिश से पर्दा उठा रहा है.
दोनों बहनों का वो वीडियो बयान हाथ लगा है, जिसमें उन्होंने बाल कल्याण समिति के सामने डॉक्टर की पूरी करतूत का बयान किया है. दोनों लड़कियों को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि किस तरह डॉक्टर उनका यौन शोषण करता था. इतना ही नहीं छोटी बहन ने ये भी खुलासा किया है कि किस तरह उनके दिये बयान को पुलिस ने डॉक्टर अंकल के दबाव में बदल दिया.
इस मामले में जब समाज कल्याण विभाग के अफसरों से संपर्क किया तो अपर सचिव डॉ. रामविलास यादव ने राजकीय बालिका निकेतन जाकर दोनों बहनों से बात की. रामविलास यादव ने न्यूज 18 को बताया कि दोनों बहनों ने डॉक्टर दम्पत्ति द्वारा किये गये यौन शोषण की पूरी कहानी उन्हें सुनाई है. यादव ने ये भी कहा कि पहली नजर में ये साफ है कि टिहरी पुलिस ने इस मामले में गंभीर धाराओं में डॉक्टर दम्पत्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया है.
बता दें कि इतने घिनौने करतूत के बावजूद डॉक्टर दम्पत्ति आज तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं क्योंकि उत्तराखण्ड पुलिस ने उनके खिलाफ न तो पॉक्सो एक्ट में और ना ही मानव तस्करी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है. अब उत्तराखण्ड शासन के अधिकारियों द्वारा इस मामले में गंभीरता दिखाये जाने के बाद ये उम्मीद बंधी है कि डॉक्टर दम्पत्ति के खिलाफ ठोस कार्रवाई होगी.
उत्तराखण्ड और झारखण्ड पुलिस की इस मामले में एक और लापरवाही सामने आयी है. दोनों ही राज्यों की पुलिस के द्वारा अब तक ऐसा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है जिससे इन दोनों बहनों को अपने घर पहुंचाया जा सके.
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